टुडे राजस्थान न्यूज़ (अज़ीज़ भुट्टा )
दारो रसन के गीत जो गाते रहे हैं हम”
काव्य गोष्ठी में शायरों ने सुनाई रचनाएं
बीकानेर 15 दिसंबर। पर्यटन लेखक संघ और महफ़िल ए अदब की जानिब से होटल मरुधर हैरिटेज में काव्य गोष्ठी आयोजित की गयी। शायरों कवियों ने एक से बढ़कर एक रचनाएं सुनाकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।
अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि कमल किशोर पारीक ने “हां मैं सच बोलता हूं/लेकिन पुरा नहीं जनाब/नाटक करता हूं सच्चाई का/परत उधाड़ने की कोशिश में”
वरिष्ठ शायर जाकिर अदीब ने गीत गाने की बात कही
“दारो रसन के ख्वाब न क्यों आएंगे हमें
दारो रसन के गीत जो गाते रहे हैं हम”
राजस्थान उर्दू अकादमी के पूर्व सदस्य असद अली असद ने इस शेर से खुब दाद हासिल की।
“जाने क्या हो गया इस दौरे सहाफत को”असद”
हादसा ले नहीं पाता है ख़बर की सूरत”
इमदादुल्लाह बासित का कलाम भी खुब पसंद किया गया।
“ये सच है दौलतो शौहरत बदल देती है इन्सां को
मेरा भी दोस्त मुझसे आजकल खुलकर नहीं मिलता “
बुनियाद ज़हीन ने अपने इस शेर से सबको वाह वाह करने पर मजबूर कर दिया।
“तुम्हारी छोटी सी हरकत से मेरी आंखों में
ज़रा सा खून ही आया है और कुछ भी नहीं “
वली मौहम्मद ग़ौरी वली ने “हमारे दर्द से वो शख्स आशना होगा/फिराके़ यार में दिन रात जो जला होगा “से समां बांध दिया।
डाक्टर जिया उल हसन कादरी ने”कितनी सदियां हो गई हैं जां दे रहा है इश्क़ में/अब शहीदे इश्क़ ही रख दीजे परवाने का नाम “शकूर बीकाणवी ने अपने खास अंदाज से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।
“सौगात है ये प्यार की तू मुझसे जो मिली
मेरे चमन में महक है कलियां हैं जो खिली
कार्यक्रम में जगदीश दान बारहठ,अमर जुनूनी सहित बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।
संचालन असद अली असद ने किया।