कभी है जिक्रे पैमाना,कभी है यादें मयखाना” पर तरही ग़ज़लें सुना कर दाद लूटी

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टुडे राजस्थान न्यूज़ ( अज़ीज़ भुट्टा )

बीकानेर- 29 दिसंबर। पर्यटन लेखक संघ- महफिले -अदब के तत्वावधान में रविवार को होटल मरुधर हेरिटेज में मासिक तरही नशिस्त-30 रदीफ़- “हे” का आयोजन किया गया जिसमें बीकानेर के शायरों ने नागौर के सूफी शायर पीर रहमत उल्लाह “रौनक” के मिसरे “कभी है जिक्रे पैमाना,कभी है यादें मयखाना” पर तरही ग़ज़लें सुना कर दाद लूटी।


अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ शायर जाकिर अदीब ने उम्दा गजल सुना कर दाद लूटी-
हमेशा दिल की ये ख्वाहिश रही है दर्दमंदाना
पराए दर्द से दिल का रहे लबरेज़ पैमाना
आयोजक संस्था के डा ज़िया उल हसन कादरी ने दीवाने का यूं परिचय दिया-
कभी सहरा में घूमेगा,कभी पत्थर भी खायेगा
ये दीवाना है दीवाना,ये दीवाना है दीवाना
इमदाद उल्लाह बासित ने तरन्नुम में गजल सुना कर महफिल में नया रंग भरा-
तेरी उल्फत के सदके हो गया हूं खुद से बेगाना
“कहां अब ज़िक्रे पैमाना, कहां अब यादे मैखाना”
असद अली असद ने अपनी खास अदा में गजल सुना कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।


खुदा रक्खे सलामत अंजुमन आराइयां हरदम
अदब की जान है महफ़िल, नहीं तस्लीम वीराना
मुख्य अतिथि सूरतगढ़ के साहित्यकार रामेश्वरदयाल तिवाड़ी राही और जोधपुर के साहित्यकार राजेश मोहता ने मरुधर हेरिटेज की साप्ताहिक गोष्ठियों को साहित्य के लिए उपयोगी और लाभदायक बताया।
इस अवसर पर अब्दुल शकूर सिसोदिया शकूर बीकानवी,अमर जुनूनी व शारदा भारद्वाज ने भी तरही गजलें सुना कर प्रोग्राम को आगे बढ़ाया। मांगरोल(बारां) के शायर रफीक राही द्वारा प्रेषित कलाम का भी वाचन किया गया।
संचालन डा ज़िया उल हसन कादरी ने किया।डा जगदीश दान बारहठ ने आभार माना।