एक शायर अपने भोगे हुए यथार्थ को ग़ज़ल या नज़्म के रूप में अभिव्यक्त करता है- डॉ.उमाकांत गुप्त

0
16

टुडे राजस्थान न्यूज़ ( अज़ीज़ भुट्टा )

इरशाद अज़ीज़ के नज़्म संग्रह ‘लज़्ज़त-ए-ग़म’ का हुआ लोकार्पण

बीकानेर, 23 जून । सहिबे दीवान शायर, नाटककार और उर्दू समालोचक इरशाद अज़ीज़ के नए नज़्म संग्रह ‘लज़्ज़त-ए-ग़म’ का भव्य लोकार्पण शनिवार को हंशा गेस्ट हाउस के सभागार में सम्पन्न हुआ। पारायण फाउंडेशन की ओर से आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. उमाकांत गुप्त ने कहा कि एक शायर अपने भोगे हुए यथार्थ को ग़ज़ल या नज़्म के रूप में अभिव्यक्त करता है। ग़ज़ल, नज़्म या कविता आदि विधाएँ भाव को सौन्दर्य के साथ पाठक या श्रोता के सामने रखती है। उन्होंने कहा कि इरशाद एक समर्थ रचनाकार हैं, वे चाहें किसी भी विधा में लिखें, उसे अपना रंग दे देते हैं।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ख्यातनाम शायर गुलाम मोहियुद्दीन माहिर ने कहा कि नज़्म शायर के लिए एक कसौटी होती है। नज़्म का अपना एक मिजाज होता है और शायर को उसके मुताबिक ढलना होता है। उन्होंने कहा कि इस संग्रह में इरशाद अज़ीज़ ने खुद को आजमाया है और वे उस आजमाइश में खरे भी उतरे हैं। नागौर से पधारे वरिष्ठ कवि- शायर और कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि राजेश विद्रोही ने कहा कि साहित्य हमेशा मानवीयता की पैरोकारी करता है। इरशाद की ये नज़्में जीवन के सबसे अनिवार्य तत्व प्रेम को समर्पित हैं। इन नज़्मों में प्रेम के सभी रंग अपने सम्पूर्ण सौन्दर्य के साथ झिलमिलाते हैं।


कार्यक्रम के आरम्भ में स्वागत उद्बोधन देते हुए कवि- पत्रकार हरीश बी. शर्मा ने कहा कि इरशाद अज़ीज़ दोहरी जिम्मेदारियों के साथ रचनाकर्म करते हैं, उन्हें अपनी जमीन भी तलाशनी होती है और विरासत को भी सहेज कर रखना होता है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद बीकानेर का पहला दीवान लिखने वाले इरशाद अदब को हमेशा अपने भीतर जीने वाले सृजनधर्मी हैं।
कार्यक्रम संयोजक एवं लोकार्पित कृति के प्रकाशक कवि- पत्रकार संजय आचार्य वरुण ने कहा कि ‘लज़्ज़त-ए-ग़म’ नज़्म संग्रह दुनिया में फैली हुई नफरतों का सशक्त प्रतिकार है। इरशाद अज़ीज़ का ये रचनाकर्म इंसान को इंसान के क़रीब लाने वाला एक सेतु है।


लोकार्पित कृति पर बेहद प्रभावी पत्रवाचन करते हुए कवयित्री- कथाकार डॉ. रेणुका व्यास ‘नीलम’ ने कहा कि साहित्य सृजन व्यष्टि से समष्टि तक की एक यात्रा होती है। रचनाकार अपनी निजता को वृहद स्वरूप देकर समाज अथवा मानवता की अभिव्यक्ति के तौर पर सार्वजनिक करता है। इरशाद अज़ीज़ एक शायर हैं इसलिए वे ग़ज़ल कहें अथवा नज़्म, उनकी कलात्मकता हमेशा उनके सृजन में मौजूद रहती है।
वरिष्ठ रंगकर्मी रामसहाय हर्ष ने सदन का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि एक रचनाकार यदि अपने जन्मदिवस पर अपना रचनाकर्म समाज को सौंपता है तो ये एक बहुत बड़ी सौगात होती है। उन्होंने कहा कि कवि, लेखक और शायर केवल अपने समय का ही नहीं बल्कि आने वाले युगों का पथ प्रदर्शन करते हैं।


कार्यक्रम में पारायण फाउंडेशन की ओर से शायर इरशाद अज़ीज़ का अभिनंदन किया गया। उनके सम्मान में प्रस्तुत अभिनंदन पत्र का वाचन कवि-कथाकार संजय पुरोहित ने किया। इस अवसर पर चित्रकार धर्मा स्वामी ने इरशाद को उनका आकर्षक रेखाचित्र भेंट किया। इरशाद अज़ीज़ ने लोकार्पण के पश्चात पुस्तक की प्रथम प्रति अपने अग्रज जाकिर हुसैन आजाद को भेंट की। उन्होंने अपनी चुनिन्दा नज़्मों का वाचन कर सराहना प्राप्त की।
कार्यक्रम में डॉ. पी एस वोहरा, डॉ. सुलक्षणा दत्ता, अल्लादीन निर्बाण, अनिरुद्ध उमट, राजेंद्र जोशी, राजेंद्र स्वर्णकार, कमल रंगा, राजेश के.ओझा, शिवचरण शर्मा, अशोक जोशी, डॉ. अजय जोशी, दामोदर तंवर, महिपाल सारस्वत, इरशाद अज़ीज़ की शरीके- हयात शबनम बानो, ज़ोया फातिमा, मोनिका गौड़, राजाराम स्वर्णकार, नवनीत पांडे, गिरीराज पारीक, बाबूलाल छंगाणी, योगेंद्र पुरोहित, शिव दाधीच, रोहित बोड़ा, जयदीप उपाध्याय, सरबजीत कौर, योगेंद्र मारू, मनमोहन शर्मा, नरेश श्रीमाली, नदीम अहमद नदीम, इसरार हसन कादरी, अमित गोस्वामी, उदय व्यास, रवि शुक्ल, प्रमोद आचार्य, कौशलेश गोस्वामी, मोहम्मद रमजान रंगरेज, राहुल जादुसंगत, जुगलकिशोर पुरोहित, ऋतु शर्मा, अमिता सेठिया, अब्दुल रशीद कादरी, मोहम्मद अयूब, शाहिद अहमद, अज़ीज़ अहमद, अब्दुल वाहिद, मोहम्मद फारूक चौहान, बुलाकी शर्मा एवं मोहम्मद इजहार, रवि माथुर सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here