डॉ लोकेश सोनी की रिपोर्ट
12 अक्टूबर
World arthritis day
अर्थराइटिस जोड़ो से जुड़ी समस्या है। जिसमें जोड़ों में सूजन रहती है, दर्द व जलन के साथ ही इन्हें हिलाने-डुलाने में भी बहुत परेशानी होती है। पहले जहां अर्थराइटिस की प्रॉब्लम बढ़ती उम्र के साथ देखने को मिलती थी वहीं अब ये किसी भी उम्र में हो रही है। इसके लिए खराब लाइफस्टाइल, खानपान की गलत आदतें, फिजिकल एक्टिविटी की कमी सबसे बड़ी वजहें हो सकती हैं।
अर्थराइटिस के प्रकार
वैसे तो अर्थराइटिस के कई प्रकार हैं लेकिन उनमें से आस्टियो अर्थराइटिस और रूमैटाइड अर्थराइटिस सबसे कॉमन हैं।
आस्टियो अर्थराइटिस- जितने भी प्रकार हैं अर्थराइटिस के उनमें से आस्टियो अर्थराइटिस के सबसे ज्यादा मामले देखने को मिलते हैं। हड्डियों का सुरक्षात्मक आवरण जिसे कार्टिलेज कहते हैं, खराब हो जाता है तब यह होता है। कार्टिलेज का काम ही जोड़ों की हड्डियों को आपस में रगड़ने, घिसने और क्षतिग्रस्त होने से बचाना है।
रूमैटाइड अर्थराइटिस- रूमैटाइड अर्थराइटिस में ज्वॉइंटस के आसपास के टिश्यू खराब हो जाते हैं। जिसकी वजह से मांसपेशियां और लिगामेंट्स भी क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। पहले स्टेज में तो यह शरीर के छोटे-छोटे ज्वॉइंट्स पर असर डालता है, लेकिन बाद में इसका अटैक बड़े ज्वॉइंट्स जैसे कंधे, कूल्हे और घुटने पर होने लगता है। रूमैटाइड अर्थराइटिस स्थायी दिव्यांगता की वजह भी बन सकता
अर्थराइटिस की वजहें
-चोट लगना।
-आनुवांशिक कारण
उपचार
अर्थराइटिस के उपचार के बारे में बात करें ये तो पूरी तरह से इस पर डिपेंड करता है कि अर्थराइटिस किस प्रकार का है और किस स्टेज में है। क्योंकि शुरुआती स्टेज में दवाइयों, फीजियोथेरेपी उपायों से इसे दूर करना आसान होता है, लेकिन एडवांस लेवल में सर्जरी ही एकमात्र ऑप्शन है। ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी इसके लिए की जाती है।
एमएस ऑर्थो
राजकीय जिला अस्पताल बीकानेर