बीकानेर 27 मार्च। पर्यटन लेखक संघ और महफिले अदब की जानिब से आज होटल मरूधर हैरिटेज के विनायक सभाकर में विश्व रंगमंच दिवस के मौके पर आज काव्य गोष्ठी आयोजित की गई।
काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि और रचनाकार सरदार अली पडीहार ने की।
अध्यक्षता करते हुए सरदार अली पडीहार ने कहा कि दुनिया का हर व्यक्ति रंगमंचीय कलाकार है। हमें चाहिए कि हम अपना किरदार ईमानदारी से निभाए।
पडी़हार ने इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में अपनी राजस्थानी कविताओं से रंग जमा दिया।
मुख्य अतिथि आनन्द सिंह चौहान ने रंगमंच की दशा और दिशा पर चर्चा करते हुए कहा कि विश्व रंगमंच दिवस पर हमें प्रण करना होगा की इस फनकारी को किस की नज़र न लगे।
चौहान ने इस अवसर पर अपनी कविता”वो औरत तगाडियां ढो रही है/चुपचाप विकास के बीज बो रही है।
वरिष्ठ शायर और राजस्थान उर्दू अकादमी के पूर्व सदस्य जाकिर अदीब ने”तुम्हारी बज़्म से जिस दम वो मेहरबां निकला/हर एक आंख से अश्कों का कारवां निकला” सुनाकर किसी पात्र विशेष की याद को ताजा कर दिया।
युवा शायर असद अली असद ने”शाम तक जैसे धूप ढ़लती है/रंग दुनिया यूं ही बदलती है” सुनाकर विश्व रंगमंच दिवस की प्रासंगिकता को इंगित किया।
इससे पहले डॉक्टर नरसिंह बिन्नानी ने आगंतुकों का शब्दों से स्वागत किया।
जुगल किशोर पुरोहित ने होली गीत सुनाया वहीं शारदा भारद्वाज ने उर्दू में सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।
इस अवसर पर डॉ जगदीश दान बारहठ, ज्योति वधवा रंजना, मधुरिमा सिंह रहमान बादशाह इत्यादि ने चर्चा में भाग लिया और अपनी कविताओं का भी वाचन किया।
कार्यक्रम का संचालन असद अली असद ने किया। आभार डॉ नरसिंह बिन्नानी ने ज्ञापित किया।