बीकानेर 6 जून। पाक्षिक समाचार पत्र “शाद्वल” के सातवें वर्ष में प्रवेश पर आयोजित संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए राजस्थानी भासा को समर्पित साहित्यकार-सम्पादक रवि पुरोहित ने कहा कि सच्चे समाचारों को वरीयता के साथ प्रकाशित करना ही सच्ची पत्रकारिता कहलाती है। पुरोहित ने संस्मरण साझा करते हुए बताया कि इसके सम्पादक डॉ.अभयसिंह अचानक से अस्वस्थ हो गए, अस्पाल में भर्ती भी हुए, इन्हें जब होश आया तो सर्वप्रथम अपने सहयोगियों से “शाद्वल” समाचार पत्र के सही समय पर प्रकाशित करने की बात कही। समर्पण भाव एवं उच्च विचार शक्ति के कारण यह पत्र सभी का प्रिय हो चुका है।
कवि-कथाकार राजाराम स्वर्णकार ने इस समाचार पत्र की छ: वर्षों की यात्रा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आर्थिक मार-काट के इस युग में भासा-साहित्य, संस्कृति एवं सामाजिक सरोकारों की मशाल जलाए रखना बेहद मुश्किल है। इस मुश्किल दौर में मैंने यह पहला पाक्षिक देखा है जो द्विभाषी से चार भाषाओं में रचनाओं का समावेश करता है। हिन्दी, अंग्रेजी, राजस्थानी और उर्दू के समायोजन से यह पत्र सभी का चहेता बन गया है। जो समाचार यहाँ है वह समाचार देश के हर कोने में एक सी इसमें मिलेगी, इस हेतु मैं इस पत्र के संरक्षक डॉ.गंगासिंह टाक का साधुवाद मानता हूं।
कार्यक्रम की शुरुआत मीठे कंठ की गायिका कवयित्री डॉ.कृष्णा आचार्य ने सरस्वती वंदना- हे शारदे मां वरदान दो, करूं प्रार्थना वो ग्यान दो हर कंठ अमृत झरे ऐसा अनुपम ग्यान दो हे मात शारदे से किया।
युवा कवि कैलाश टाक ने शाद्वल के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा – समाचार पत्र चाहे दैनिक हो , साप्ताहिक हो या पाक्षिक बगैर भेद-भाव के उसमें सही समाचारों को स्थान मिलना चाहिए | आज बड़े-बड़े मिडीया हाउस ने प्रकाशन बंद कर ई पत्रिका शुरू कर दी उस स्थिति में शाद्वल का समय पर प्रकाशन होना कार्य के प्रति समर्पण भाव को दर्शाता है | संचालन करते हुए युवा हास्य कवि बाबूलाल छंगाणी ने कहा कि इसके प्रकाशन से साहित्य प्रेमियों को विशेष लाभ हो रहा है | समाचार सम्पादक डॉ.अभयसिंह ने समाचार पत्र के प्रकाशन का उद्धेश्य बताया | सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया | कार्यक्रम में विधिसिंह, वैभवसिंह, ऋषिकुमार अग्रवाल, राजेशकुमार लाट, गुन्नू और गुनगुन ने भी विचार रखे |