परमात्मा भक्ति पतित को पावन का उपक्रम-साध्वीश्री मृगावती
बीकानेर, 26 सितम्बर। पुरातत्व महत्व के कारण राष्ट्रीय स्तर पर संरक्षित करीब छह शताब्दी प्राचीन, भांडाशाह जैन मंदिर में मंगलवार को सुबह साध्वीश्री मृगावती, सुरप्रिया व नित्योदया के सान्निध्य में ध्वजारोहण, ध्वज वंदन होगा। साध्वीवृंद सुगनजी महाराज के उपासरे से श्री भक्तामर पूजन व अभिषेक विधान पूर्ण करवाकर भांडाशाह जैन मंदिर पहुंचेगी।
श्री भक्तामर पूजन व अभिषेक विधान- रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में सोमवार को भक्तामर पूजा व अभिषेक विधान वरिष्ठ सुश्रावक छगन लाल भुगड़ी, सुश्राविका सरोजदेवी, विक्रम, प्रतिभा, मुक्ति व अक्ष, साध्वीश्री पद्मयशा व पुण्य यशा के सांसारिक परिजन सिद्धकरण, मनीष डागा, मंजू डागा (लूणकरनसर) भीनव, कीर्तन्य व लुव्य नाहटा, श्रद्धा दस्सानी व विहान दस्सानी मंत्रोच्चारण, जयकारों व भक्ति गीतों के साथ किया गया। परमात्मा आदिनाथ की सविधि अष्ट प्रकार की पूजा की गई । इस अवसर पर मुंबई प्रवासी कंवर लाल का चातुर्मास व्यवस्था समिति संयोजक निर्मल पारख, सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष भीखमचंद बरड़िया ने अभिनंदन किया ।
साध्वीश्री मृगावतीश्री ने प्रवचन में कहा कि परमात्मा भक्ति पतित को पावन बनाने उसे सही मंजिल तक पहुंचाने का उपक्रम है। पूजा दो प्रकार की होती है द्रव्य व भाव पूजा। द्रव्य पूजा, महत्वपूर्ण भाव पूजा का पुरुषार्थ करवाती है। पूजा के दौरान स्तवन, मंत्र हमें परमात्मा के प्रति तल्लीनता व समर्पण का भाव जगाते हुए उत्तरोतर साधना के प्रगति के पथ पर ले जाते है। परमात्मा को हृृदय में स्थापित कर अहोभाव व बहुमान भाव से भक्ति करनी चाहिए। उन्हांंने बताया कि पूजा में जल-शुद्धता, चंदन-शीतलता, दीपक-आत्म पर व्याप्त कालिमा को दूर करने, अक्षत-अक्षय रहने, नैवेद्य-खाद्य्य सामग्री को प्रभु को अर्पण कर उपयोग करने, उसमें संयम रखने व अभक्षय सामग्री का उपयोग नहीं करने, फल-परमात्मा से उत्तमोत्तम फल की आशा को लेकर चढ़ाएं जाते हैं।