गीतकार ग़ज़लकार राजेन्द्र स्वर्णकार पर जर्मनी में बनेगी डॉक्युमेंटरी फ़िल्म और प्रकाशित होगी शोधपरक पुस्तक
बीकानेर 8 अप्रैल । छंदकाव्य में अपनी विशिष्ट छवि और अपनी मौलिक धुनों में सस्वर काव्यपाठ के लिए विख्यात एवं लोकप्रिय, मीठे गले के छंदज्ञ गीतकार ग़ज़लकार कवि राजेन्द्र स्वर्णकार पर जर्मनी में बनेगी डॉक्युमेंटरी फ़िल्म । साथ ही प्रकाशित होगी शोधपरक पुस्तक ।
अब तक लगभग तीन हज़ार गीत ग़ज़ल छंदों के रचयिता और लगभग दो सौ से अधिक मौलिक धुनें बनाने वाले, हिंदी राजस्थानी उर्दू के काव्यसृजक, विनम्रता की प्रतिमूर्ति श्री राजेन्द्र स्वर्णकार एक बहुआयामी कलासाधक सृजक सरस्वतीआराधक हैं ।

उनके काव्य वैशिष्ट्य को पहचानते हुए ‘संस्कार भारती’ के संस्थापक संचालक बाबा योगेन्द्रजी ने बहुत वर्ष पूर्व बीकानेर आने पर ‘बीकानेर संस्कार भारती’ का स्थायी साहित्य प्रभारी बनाया था । आपको ‘राष्ट्रीय कवि संगम’ और साहित्यिक सामाजिक सांस्कृतिक संस्था ‘समन्वय’ ने भी बीकानेर जिलाध्यक्ष पद पर मनोनीत किया था । लेकिन कला साहित्य एवं साधना को ही समर्पित श्री स्वर्णकार ने इन सब पदों से स्वयं को मुक्त करते हुए सृजन के लिए ही स्वयं को समर्पित रखने को प्राथमिकता देना उचित समझा ।
विविध छंदों में काव्यसृजन में सिद्धहस्त स्वर्णकार की प्रतिभा को देश के शीर्षस्थ कवियों ने सराहा है । आपकी अब तक दो काव्य पुस्तकें प्रकाशित हैं, जबकि पांच-सात पुस्तकें प्रकाशनार्थ तैयार हैं ।
श्री स्वर्णकार को पच्चीस वर्षों से आकाशवाणी दूरदर्शन सहित पचासों शहरों कस्बों में कवि सम्मेलनों में ससम्मान काव्यपाठ के लिए आमंत्रित किया जाता रहा है । आपको राजस्थान की चार चार भाषाओं (हिंदी राजस्थानी ब्रज और उर्दू ) की अकादमियों के कवि सम्मेलनों और मुशायरों में काव्यपाठ करने का गौरव प्राप्त है ।
इस प्रकार बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री स्वर्णकार कोई ढाई दशक से अपनी काव्य प्रतिभा का लोहा मनवाते आए हैं ।
श्री स्वर्णकार को काव्यपाठ के लिए अनजान अपरिचित लोगों द्वारा जगह जगह ससम्मान प्रायः बुलाया जाता रहा है । देश विदेश से प्रकाशित अनेक महत्वपूर्ण संकलनों में राजेन्द्र स्वर्णकार का परिचय और रचनाएं संकलित हैं ।
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वर्ष 2010-11 में आपको ‘परिकल्पना ब्लॉगोत्सव’ द्वारा ‘वर्ष का सर्वश्रेष्ठ गीतकार गायक’ पुरस्कार प्रदान किया गया था।
अमरीका और कनाडा की संस्था ‘रक्षक फाउंडेशन’ द्वारा आयोजित ‘गौरव गाथा काव्य प्रतियोगिता’ में आपको दो बार प्रथम और द्वितीय स्थान प्राप्त करने के लिए नगद पुरस्कार से सम्मानित किया गया । अंतर्जाल की छोटी मोटी अनेक काव्यस्पर्धाओं में आपने असंख्य बार अपनी काव्य प्रतिभा मनवाई है ।
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स्वर्णकार के लिखे छंद और गीत कोई डेढ़ दशक पहले से ही डॉक्यूमेंट्री फिल्म और एलबम में भी अपना कमाल दिखाते रहे हैं । मुंबई के निर्माता-निर्देशकों की विविध विषयों पर बनी लघुफ़िल्मों डॉक्यूमेंट्रीज में स्वर्णकार की काव्य पंक्तियां सम्मिलित होती रही हैं ।
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चुटकियों में किसी भी छंद, किसी भी काव्य रचना के लिए विशिष्ट मौलिक धुन बना देने वाले राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहीं से संगीत की शिक्षा नहीं ली है । अनेक अवसरों पर एक-दो घंटे से ले’कर डेढ़ मिनट के अंदर अंदर पहली बार रचना पढ़ने पर भी उसकी धुन बना कर प्रस्तुति देने का चमत्कार स्वर्णकार ने कई बार किया है । आपकी मौलिक धुनें इतनी हृदयग्राही होती हैं कि आम श्रोता जहां मुग्ध हो जाते हैं, वहीं कविता सीखने में लगे नौसिखिए कवयित्री कवि अक्सर इनकी धुनों की नकल करके वाहवाही बटोरने का प्रयास करते हुए भी पाए जाते हैं ।
पिछले बाइस चौबीस वर्षों में देश विदेश और स्थानीय पचासों रचनाकारों की रचनाओं की धुनें बना कर प्रस्तुति देने का अद्भुत कार्य करते रहने वाले स्वर्णकार की अपनी बनाई हुई दो सौ से अधिक कंपोज़ीशन हैं ।
ऐसी विशिष्ट प्रतिभा को मुंबई के एक लघुफ़िल्म निर्माता निर्देशक ने इसी वर्ष होली से एक दिन पूर्व उपहार में एक शानदार हारमोनियम भिजवा कर सम्मानित किया है ।

राजेन्द्र स्वर्णकार का एक अन्य महत्वपूर्ण कार्य है डीएक्सिंग और शॉर्टवेव लिसनिंग (DXing & Short Wave Listening)
जो एक शौक़ से शुरू हो’कर उपलब्धियों के शीर्ष बिंदु तक पहुंचा ।
30-35 वर्ष पूर्व अस्सी के दशक में स्वर्णकार ने सक्रिय शॉर्टवेव लिसनर डीएक्सर के रूप में ब्रिटेन अमरीका पश्चिमी जर्मनी पूर्वी जर्मनी चाइना जापान मिश्र नीदरलैंड आस्ट्रेलिया चकोस्लोवाकिया एकीकृत सोवियतसंघ सहित रूस उज़्बेकिस्तान आदि देशों के प्रसारण केंद्रों द्वारा आयोजित विभिन्न पत्रलेखन, संगीत, चित्रकला, और निबंध प्रतियोगिताओं में लगभग सौ बार पुरस्कार जीत कर बीकानेर एवं राजस्थान का गौरव बढ़ाया है ।
जर्मनी के पुनर्एकीकरण के अवसर पर डॉयट्शे वैले द्वारा ‘पुनर्एकीकृत जर्मनी से प्रत्याशाएं’ विषय पर हिंदी उर्दू बांग्ला नेपाली चाइनीज़ अंग्रेजी और जर्मन भाषाओं के प्रतिभागियों के लिए आयोजित निबंध प्रतियोगिता में श्री राजेन्द्र स्वर्णकार द्वारा हिंदी भाषा में लिखित निबंध ने एशिया भर के 523 प्रतिभागियों में प्रथम स्थान प्राप्त किया था ।
आपकी प्रतिभा से प्रभावित हो’कर कई अन्य शहरों के अनजान अपरिचित लोग और स्थानीय लोग भी आपसे मिलने आपके घर आते रहे हैं ।
इनमें रेलवे में वरिष्ठ डॉक्टर दिल्ली की डॉ.आशा शेटी और भारतीय सेना में वरिष्ठ अधिकारी कंवल शेटी के पत्र की पंक्तियों का उल्लेख करना रोचक होगा । उन्होंने लिखा कि – “हमने सुना था कि राजस्थान में रेत ही रेत होती है । लेकिन रेत में हीरे भी होते हैं यह हमें जर्मनी में पता चला ।”
यह पत्र उन्होंने डॉयट्शे वैले, पश्चिम जर्मन प्रसारण केंद्र में कार्यरत अपनी पुत्री से मिलने के लिए डॉयट्शे वैले स्टूडियो जा कर स्वर्णकार के अनेक पुरस्कृत पत्रों का अवलोकन करने के पश्चात प्रभावित हो’कर लिखा था । कुछ समय बाद भारत लौटने पर वे स्वर्णकार जी से मिलने बीकानेर आए, और दो दिन इनके परिवार के साथ ही रहे ।

इसी प्रकार
वर्ष 2000 में होली से दो दिन पूर्व स्वर्णकारजी से मिलने पुनर्एकीकृत जर्मनी से जर्मन लेडी सबीने इमहोफ आई थी, जो विभाजित जर्मनी के प्रसारण केंद्र रेडियो बर्लिन इंटरनेशनल, पूर्वी जर्मनी की हेड थी । ध्यातव्य है कि, 1990 में जर्मनी का पुनर्एकीकरण होने के बाद रेडियो बर्लिन का प्रसारण बंद कर दिया गया था । प्रसारण बंद होने के दस वर्ष बाद, सारे संपर्क समाप्त हो जाने के बाद, श्रीमती सबीने इमहोफ भारत आईं तो बिना पूर्व सूचना ही दिल्ली की एक टूरिस्ट कंपनी से गाड़ी और दुभाषिया ले’कर होली से दो दिन पहले एक भोर को सात बजे अचानक, बीकानेर श्री राजेन्द्र स्वर्णकार के घर पहुंच गईं, और दो दिन रह कर उनके बारे में अधिक जानकारी संकलित की ।
आपने अपने जीवन के यादगार संस्मरणों में राजेन्द्र स्वर्णकार और उनकी बहुआयामी प्रतिभा का विशेष उल्लेख किया है ।
और अब…
बीस बाईस वर्ष बाद…
बेल्जियम निवासी भारतीय मूल की जर्मनी में शोधकर्त्री आनंदिता ने जब सबीने जी के कार्य के माध्यम से श्री स्वर्णकार के बारे में जाना तो सही मोबाइल नंबर ज्ञात नहीं होने के उपरांत गूगल सर्च द्वारा सही संपर्क सूत्र जुटा कर वे मिलने को उद्यत हुईं, और अमेरिका में कार्यरत अपने सहयोगी केरल के ज्योतिदास के साथ बीकानेर चली आईं ।
आप दोनों ने स्वर्णकार जी के घर पर लगातार तीन दिन पांच-पांच सात-सात घंटे की विस्तृत सिटिंग करके अपनी उत्सुकता जिज्ञासा भरे शोध कार्य के लिए ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग करते हुए साक्षात्कार किया, जिसमें विश्व भर से कोई चालीस पचास प्रसारण केंद्रों पर श्री स्वर्णकार द्वारा लगभग सौ बार प्राप्त पुरस्कारों के छायांकन से लेकर उनके काव्य कर्म चित्रकारी गायन और संगीत से संबंधित विविध पक्षों पर बातचीत की ।
साक्षात्कारकर्ता और साक्षात्कारदाता दोनों को थका देने वाले इस कार्य को लगभग सत्तर-अस्सी प्रतिशत ही पूर्ण किया जा सका तीन दिन में । कुछ महत्वपूर्ण कार्य अब वीडियो चैटिंग और मेल द्वारा संपन्न होगा । ततपश्चात जर्मनी में एडिटिंग के पश्चात यह साक्षात्कार डॉक्युमेंटरी और पुस्तक रूप में सबके लिए सार्वजनिक किया जाएगा ।
विविध प्रतिभाओं के धनी इस मौनसाधक बहुआयामी कलाकार को हृदय की गहराइयों से नमन एवं सुखद जीवन और सफलताओं के लिए मंगलकामनाएं