बीकानेर, 21 मई। राजकीय विधि महाविद्यालय द्वारा शनिवार को ‘महिलाओं के अधिकारों का संरक्षणः मुद्दे एवं चुनौतियां’ विषयक राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया गया।
उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि शिक्षा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला थे। उन्होंने कहा कि संस्कारों का हनन तथा संयुक्त परिवारों का बिखराव महिला अधिकार संरक्षण की दिशा में सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि हमारे समाज में महिलाएं सदैव परिवार की धुरी रही हैं, लेकिन पाश्चात्यकरण और देखा देखी की होड़ में मातृशक्ति के सम्मान में कमी आई, जो कि चिंताजनक है। उन्होंने सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव को भी इसके लिए जिम्मेदार बताया।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि समाज का सर्वांगीण विकास हो, इसके लिए बेटियों को समान अवसर उपलब्ध करवाए जाने जरूरी हैं। उन्होंने बताया कि शिक्षा विभाग द्वारा बालिकाओं को जूडो-कराटे का प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे बालिकाएं शारीरिक और मानसिक रूप से सशक्त बन सकें। उन्होंने कहा कि अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों को सुसंस्कारी बनाएं। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी ने महिलाओं को विभिन्न क्षेत्रों में अधिकार दिए। आज इसके अच्छे परिणाम दिख रहे हैं। महिलाएं भी पुरूषों के कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं।
चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय सिरसा के विधि विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार मक्कड़ ने मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए कहा कि संविधान ने महिलाओं को समानता एवं सुरक्षा के विधिक अधिकार प्रदान किए हैं। जागरूकता के अभाव में महिलाएं इनका उपयोग नहीं कर पाती। इस कारण इन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि इन बाधाओं को दूर करने के लिए इन्हें कानूनी अधिकारों की जानकारी दी जाए।
राजीव गांधी स्टडी सर्किल के राष्ट्रीय समन्वयक डॉ. सतीश रॉय ने कहा कि किसी भी वर्ग के सशक्तिकरण में अधिकारों और कर्तव्यों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सभी अपने कर्तव्यों को समझें और दूसरों के अधिकारों का हनन नहीं करें, तो समाज में सद्भाव बना रहता है। उन्होंने कहा कि नारी में पुरुष की बजाए नैतिक बल अधिक होता है, इस नाते वह अधिक सशक्त होती है।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. भगवानाराम बिश्नोई ने कहा कि आज हमारा देश खेल, तकनीकी और शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ता जा रहा है। इसमें पुरुषों के साथ महिलाओं का भी योगदान है। महिलाएं जानकारी के अभाव में पीछे नहीं रहे, इसके मद्देनजर यह सेमिनार आयोजित की गई है।
सेमिनार समन्वयक डॉ. मल्लिका परवीन ने बताया कि सेमिनार में विभिन्न तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया। इनका संचालन राजकीय विधि महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ अनिल कौशिक, ज्ञान विधि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. बी एल विश्नोई एवं डॉ. कप्तान ने किया।
राजकीय डूंगर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. जी.पी. सिंह ने भी विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में अतिरिक्त संभागीय आयुक्त ए.एच. गौरी, कॉलेज शिक्षा के सहायक निदेशक डॉ. राकेश हर्ष, महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के उप कुलसचिव डॉ. बिट्ठल बिस्सा बतौर अतिथि मौजूद रहे। इस अवसर पर उत्कृष्ट परिणाम देने वाले विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम का संचालन महाविद्यालय की सहायक आचार्य मीनाक्षी कुमावत ने किया। डॉ. पूजा छीपा ने आभार जताया। इस अवसर पर महाविद्यालय के शैक्षणिक व शैक्षणिक स्टाफ मौजूद रहा।