व्यंग्य अभिव्यक्ति और चिंतन का माध्यम है
बीकानेर 17 सितम्बर। अजित फाउण्डेषन द्वारा शनिवार की शाम फाउण्डेशन सभागार में डॉ. अजय जोशी के व्यंग्य संग्रह ‘पत्नीस्यमुडम’ पर पुस्तक चर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में डॉ. जोशी के व्यक्तित्व कृतित्व के साथ व्यंग्यों की मीमांसा की गई।
कार्यक्रम के अध्यक्ष शिक्षाविद् डॉ. ओम कुबेरा ने कहा कि व्यंग्य साहित्य की परिपूर्ण विधा है जिसमें अभिव्यक्ति एवं चिन्तन के विभिन्न द्वार खुलते है। उन्होंने कहा कि डॉ. अजय जोशी की पुस्तक पत्नीस्यमूडम की रचनाओं में समाज की विसंगतियांे पर गहरी चोट है। डॉ. कुबेरा ने कहा कि डॉ. जोशी के व्यंग्य में महान व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई के व्यंग्यों की झलक दिखाई पड़ती है।
पुस्तक चर्चा के मुख्य समीक्षक लेखक अशफाक कादरी ने कहा कि पत्नीस्यमूडम डॉ. जोशी का तीसरा व्यंग्य संग्रह है जिसमें 34 लघु हास्य व्यंग्य रचनाएं है। उन्होंने कहा कि संग्रह में पति-पत्नी संबंधों से जुड़ी खट्टी-मिठ्ठी रचनाओं समावेष है। कादरी ने कहा कि पुस्तक में डॉ. जोशी ने कबीर दास जी की भांति ‘‘ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर’’ का निर्वाह किया है। उन्होंने कहा कि पुस्तक की रचनाएं लघु होने के बावजूद व्यापक परिपेक्ष्य से ओत प्रोत है।
पुस्तक के रचियता डॉ. अजय जोशी ने अपने रचनाकर्म को साझा करते हुए कहा कि व्यंग्य के माध्यम से आम-आवाम तक अपनी बात सरलता व सहजता के साथ अभिव्यक्ति करना उनका लक्ष्य है। डॉ. जोषी ने कहा कि समसामयिक घटनाओं से प्रवाहित होकर उन्होंने व्यंग्य के रूप में अपनी बात पहंुचाने का प्रयास किया है।
संस्था समन्वयक संजय श्रीमाली ने पुस्तक चर्चा कार्यक्रम का उद्देष्य बताते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों से पाठकों में पढ़ने की प्रवृति जागृत होती है। कार्यक्रम में प्रो. नरसिंह बिन्नाणी, वरिष्ठ रंगकर्मी बी.एल नवीन, गिरीराज पारीक, डॉ. मो फारूक, शैलेन्द्र सरस्वती, जुगल किषोर पुरोहित, प्रेम नारायण व्यास, सुनील गज्जाणी, सरिता पारीक, कवि कथाकार राजाराम स्वर्णकार, शायर डॉ. नासिर जैदी, विपलव व्यास ने भी अपने विचार रखे।