बीकानेर, 08 अक्टूबर | 14 अक्टूबर से शुरू होने जा रहे बीकानेर थिएटर फेस्टिवल मे इस बार दर्शकों को खास तरह के मनोरंजक अनुभव देने के लिए आयोजक मण्डल ने देश भर से ऐसे चुनिन्दा नाटकों को आमंत्रित किया है जो अभिनय एवं थिएटर कला मे मनोरंजन एवं विषय के लिहाज से एक अलग ही मुकाम रखते हैं| इसी कड़ी मे आसाम के बहुचर्चित नाटक “किनो काओ” को विशेष आग्रह के साथ आमंत्रित किया गया है | देशभर मे पिछले 10 से भी ज्यादा वर्षों से धूम मचा रहे नाटक किनो काओ के निर्देशक श्री पबित्र राभा देश के सबसे बड़े नाट्य संस्थान नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से स्नातक हैं।
असम के पर्वतीय क्षेत्र टांगला के पबित्र राभा पिछले लगभग 2 दशकों से नाटक एवं अभिनय कला के द्वारा आमजन के जीवन मे सकारात्मक परिवर्तन लाने का प्रयास कर रहे हैं| अंतर्राष्ट्रीय संगीतज्ञों के साथ “रिड्म ऑफ दा फॉरेस्ट” मे काम कर चुके पबित्र जीवन के प्रति बहुत ही संवेदनशील नजरिया रखते हैं| जब उन्होने बौनो के जीवन का अध्ययन किया तो पाया की बौनों का जीवन जाने-अनजाने इतना कष्टप्रद हो चुका है की जिसली कल्पना भी नहीं की जा सकती | इसी को आधार रखते हुए उन्होने स्वयं नाटक “किनो काओ” लिखा एवं निर्देशन की बागडोर संभाली |
बीकानेर के वरिष्ठ रंगकर्मी विजय सिंह राठौड़ ने बताया की आजकल की पीढ़ी कंटैंट की अधिकता की शिकार होती जा रही है जिसके कारण कंटैंट का चुनाव करने की क्षमता बुरी तरह से प्रभावित होती जा रही है नतीजतन बुरे से बुरा कंटैंट भी देखा जा रहा है जो की सुलभता से उपलब्ध है |
अभिनेता अशोक व्यास ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा की माता-पिताओं को चाहिए की वो अपने बच्चों को स्वस्थ मनोरंजन की और मोड़े और इसके लिए रंगकर्म एक बढ़िया विकल्प है | 14 से 18 अक्टूबर को होने जा रहे बीकानेर थिएटर फेस्टिवल मे परिवारों को उत्साह के साथ भाग लेते हुए कला के इस स्वरूप का निकटता से अनुभव करना चाहिए ।
आयोजन समिली के गौरव सोनी ने बताया की बीकानेर के दर्शकों एवं कला प्रेमियों के लिए वर्तमान समय मे बीकानेर थिएटर फेस्टिवल एक बेहतर माध्यम है जो उन्हें देश विदेश की कहानियों, संस्कृतियों एवं अभिनय शैलियों से रूबरू करवाता है |
भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा जूनियर फ़ेलोशिप अवार्ड ले चुके असम के निर्देशक असीमनाथ का नाटक “हेवन टू हेल” से भारतीय रंगमंच जगत मे क्रांति लाने मे मुख्य भूमिका निभाने वाले भारत के सुप्रसिद्ध लेखक स्वर्गीय श्री बादल सरकार के नाटक “होत्तोमलार ओपारे” से प्रेरित है |
बीकानेर थिएटर फेस्टिवल मे मुंबई से विवेकानंद का पुनर्पाठ एवं चंदु की चाची
दिल्ली से कल्लू नाई MBBS, रुदाली, पति गई री काठियावाड़ एवं अकबर दा ग्रेट नहीं रहे
चंडीगढ़ से गगन दमामा बाज्यो एवं फिल्मिश
जम्मू से दोज़ख
गोवा से हीराबाई
देहरादून से मंगलू
असम से किनो काओ एवं हेवन टू हेल
चित्तौड़गढ़ से तुर्रा कलंगी
जोधपुर से सफ़र
जयपुर से बेबी, आखिर इस मर्ज कि दवा क्या है, गोपीचन्द भर्त्तहरि- तमाशा
मंचित होंगे |
साथ ही बीकानेर के नाटक फिर ना मिलेगी जिंदगी, कोर्ट मार्शल एवं अंतर्नाद का भी मंचन होगा |
अमित सोनी ने बताया की नाटकों की समय-सारणी जल्द प्रकाशित की जाएगी ।
बीकानेर रंगमंच जगत के रंगकर्मी एवं बीकानेर थिएटर फेस्टिवल मे सक्रियता से अपना योगदान देने वाले राहुल चावला, आमिर हुसैन, काननाथ गोदारा, राजशेखर शर्मा, शिव सुथार, सुमित मोहिल, दीपांकर, मनोज राजपाल, बंटी हर्ष, जितेंद्र पुरोहित, भरत राजपुरोहित, सुरेंद्र स्वामी एवं प्रेम नागल ने बीकानेर की जनता से आह्वान किया है की बीकानेर थिएटर फेस्टिवल जो की वर्ष मे एक बार होता है कला के नए आयामों से रूबरू होने का एक बहुत ही सुनहरा मौका है इसलिए हर वर्ग के लोग विशेषकर महिलाएं अपने परिवार को स्वयं लेकर आयें और नि:शुल्क होने वाले बेशकीमती आयोजन का लुफ्ट उठाएँ ।